पुस्तक परिचय (Book Introduction)
पुस्तक का नाम | हिंद स्वराज |
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लेखक का नाम | मोहन दास करमचन्द गांधी |
प्रकाशक | पिलग्रिम्स पब्लिशिंग वाराणसी |
संस्करण | 2014 |
आई एस बी एन | 978-93-5076-007-9 |
मूल्य | 75 रूपये |
फ्रंट कवर पेज | राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का लिखते हुए फोटो लगी हुई है। |
फॉण्ट का आकार | सामान्य |
मुद्रण | साफ-सुथरे ढंग से किया गया है। |
कागज की स्पष्टता | कागज की मोटाई ठीक है यह ना तो ज्यादा पतला है और न ज्यादा मोटा है सामान्य है। |
बाइंडिंग | पन्ने अच्छे ढंग से चिपकाएँ गए है बाइंडिंग मजबूत है। |
भाषा | इस पुस्तक की भाषा सरल एवं रोचक है पुस्तक जैसे-जैसे पढ़ते जाते है वैसे-वैसे जिज्ञासा उत्पन्न होती रहती है। |
लेखक का परिचय (Author Introduction)
पूरा नाम | मोहनदास करमचन्द गांधी |
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जन्म | 02-Oct-1869 |
स्थान | पोरबंदर (गुजरात) |
माता | पुतली बाई |
पिता | करमचन्द गांधी |
पत्नी | कस्तूरबा गांधी |
विवाह | 1883 |
राजनीती गुरु | गोपाल कृष्ण गोखले |
पुत्र | 4 – हरिलाल, मनीलाल, रामदास, देवदास |
शिष्या | मीरा बेन (वास्तविक नाम मेडालीन स्लेड) |
मृत्यु | 30-Jan-1948 (शाम 5 बजकर 17 मिनट) |
हत्या | नाथू राम गोडसे (नई दिल्ली बिड़ला भवन के सामने) |
समाधि स्थल | राजघाट (नई दिल्ली) |
प्रसिद्ध पुस्तकें (Famous Book)
पुस्तक का महत्व (Importance of Book)
महात्मा गांधी की कृतियों में से एक हिंद स्वराज का महत्व सबसे ज्यादा माना जाता है। इस पुस्तक में गांधी जी ने एक प्रकार से अपने सपनो के स्वाधीन भारत का एक खाका खीचा है। गांधी जी ने एक ऐसी किताब लिखी है जिसे भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में बहुत ही ऊँचा स्थान दिया गया क्योकि इस को पढने के बाद लोग राष्ट्र की अहमियत को समझने लगे थे।
हिंद स्वराज एक छोटी पुस्तक है जिस में 21 प्रकरण है जिसे संवाद के रूप में लिखा गया है। हिंद स्वराज में गांधी जी ने स्वराज की बहुत ही अच्छे ढंग से एवं सरल संकल्पना की है।
उनका मानना था कि सभी धर्म एक है, सभी का लक्ष्य एक है, सभी धर्म भगवान की ओर ले जाते है।
पुस्तक का सारांश (Book Summary)
हिंद स्वराज पुस्तक का केंद्र बिंदु मोहनदास करमचन्द गांधी जी थे। भारत में राष्ट्रपिता के साथ-साथ एक महान राजनीतिज्ञ, दार्शनिक, शिक्षाशास्त्री थे। इसमें पश्चिमी सभ्यता की जगह मूल भारतीय सभ्यता को अपनाने को कहा गया है। गांधी जी पाठको को यह चेतावनी देना चाहते थे कि "तस्वीर मैंने खड़ी की है। वैसा स्वराज पाने के लिए वह कोशिश कर रहे है।"
इस पुस्तक में 21 अध्याय है, जो निम्नवत है-
- हिंद स्वराज - हिंद स्वराज 1909 में लंदन से दक्षिण अफ्रीका लौटते वक्त गांधी जी द्वारा पानी के जहाज में लिखी गई पुस्तक है।
- क्या है स्वराज - स्वराज का अर्थ है जहां पर खुद का राज हो अंगेजो या किसी और का नहीं।
- कांग्रेस और कार्यकर्ता - इसके अनुसार कांग्रेसियों को हिन्दुस्तानियो को एक करके उन में स्वराज की भावना जगानी है।
- बंगाल के दो टुकड़े - वंग भंग आन्दोलन होता है और कर्जन बंगाल के दो टुकड़े कर देते है। इस से भारतीय लोगो को ऐसा लगा कि स्वराज की कल्पना हकीकत बन सकती है।
- अशांति और असंतोष - अशांति से ही असंतोष की आग भड़कती है।
- इंग्लैंड की दयनीय स्थिति - इंग्लैंड की स्थिति बहुत ही दयनीय थी वहां की स्थिति तरस खाने लायक थी।
- सभ्यता आधुनिकता के चक्कर में - लोग अपनी मूल सभ्यता और संस्कृति को भलते जा रहे है। इससे सभ्यता का तथा खुद का नाश हो जाएगा।
- हिंदुस्तान की हालत - हिंदुस्तान की हालत बहुत बुरी है इसको अंग्रेजो ने नहीं बल्कि आधुनिक सभ्यता ने कुचला है।
- गरीबी के कारण - हिंदुस्तान को वकीलों और डॉक्टरों ने भिखारी बनाया है। इन लोगो के कारण यह हुआ है।
- हिन्दू मुस्लिम - हिन्दू मुस्लिम को एक होना पड़ेगा। हिंद इसपर जोर देती है।
- कर्तव्यहीन डॉक्टर - अंग्रेजो ने डॉक्टरों की बदौलत ही हिन्दुस्तानियो को काबू कर लिया है।
- कैसे मुक्त हो हिंदुस्तान - यदि हम दुसरे की सभ्यता को छोड़कर अपनी सभ्यता को अपनाते है तो हिंदुस्तान मुक्त हो जाएगा।
निष्कर्ष
- हिंद स्वराज गांधी जी द्वारा रचित कृति है, इसे प्रकाशित हुए 100 वर्ष से अधिक हो गया है। यह भारतीय व्यवस्था का मॉडल है। इस पुस्तक में स्वावलम्बन, अहिंसा, नैतिकता, सभ्यता, स्वदेशी पर विचार प्रस्तुत किया गया है।
- गांधी जी मशीनी सभ्यता की आलोचना करते है तथा पश्चिमी देश के विकास को अस्वीकार करते है। उन्होंने कहा है कि हमें ऐसे विकास की कोई आवश्यकता नहीं है।
- इस पुस्तक में गांधी जी ने स्वावलंबन आत्मनिर्भरता पर जोर दिया है तथा पश्चिमी सभ्यता की आलोचना की है।
यदि हम अपने भारत को अच्छा भारत बनाना चाहते है तो हमें गांधी जी की बताई बातो का अनुसरण करना चाहिए।
मेरे विचार
हिंद स्वराज हमें मिलकर रहना सिखाती है। यह द्वेष धर्म की जगह प्रेम धर्म सिखाती है। हिंसा की जगह अहिंसा सिखाती है। यह पुस्तक राष्ट्र की ऐसी भावना जागृत करती है, जहाँ पर हम सभी एक ही हो चाहे किसी भी जाति, धर्म के हो। यह पुस्तक भारतीओं में आत्मशक्ति को जगाती है।
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