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26 January Poems and Essays on Republic Day गणतंत्र दिवस पर कविताएँ और निबंध

Updated:

आप सभी को RakeshMgs की तरफ से गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाऐ, हम यहाँ गणतंत्र दिवस पर कुछ कविता और निबंध लिख रहें है यदि आपको अच्छा लगे तो शेयर अवश्य करें
26 January

1. मेरा वतन वही है: इकबाल

चिश्ती ने जिस ज़मीं पे पैग़ामे हक़ सुनाया
नानक ने जिस चमन में बदहत का गीत गाया
तातारियों ने जिसको अपना वतन बनाया
जिसने हेजाजियों से दश्ते अरब छुड़ाया
मेरा वतन वही है, मेरा वतन वही है
सारे जहां को जिसने इल्मो-हुनर
दिया था,
यूनानियों को जिसने हैरान कर दिया था
मिट्टी को जिसकी हक़ ने ज़र का असर दिया था
तुर्कों का जिसने दामन हीरों से भर दिया था
मेरा वतन वही है, मेरा वतन वही है
टूटे थे जो सितारे फ़ारस के आसमां से
फिर ताब दे के जिसने चमकाए कहकशां से
बदहत की लय सुनी थी दुनिया ने जिस मकां से

मीरे-अरब को आई ठण्डी हवा जहां से
मेरा वतन वही है, मेरा वतन वही है






2. आह्वान: अशफाकउल्ला खां












कस ली है कमर अब तो, कुछ करके दिखाएंगे,
आजाद ही हो लेंगे, या सर ही कटा देंगे
हटने के नहीं पीछे, डरकर कभी जुल्मों से
तुम हाथ उठाओगे, हम पैर बढ़ा देंगे
बेशस्त्र नहीं हैं हम, बल है हमें चरख़े का,
चरख़े से ज़मीं को हम, ता चर्ख़ गुंजा देंगे
परवाह नहीं कुछ दम की, ग़म की नहीं, मातम की,
है जान हथेली पर, एक दम में गंवा देंगे
उफ़ तक भी जुबां से हम हरगिज़ न निकालेंगे
तलवार उठाओ तुम, हम सर को झुका देंगे
सीखा है नया हमने लड़ने का यह तरीका
चलवाओ गन मशीनें, हम सीना अड़ा देंगे
दिलवाओ हमें फांसी, ऐलान से कहते हैं
ख़ूं से ही हम शहीदों के, फ़ौज बना देंगे
मुसाफ़िर जो अंडमान के, तूने बनाए, ज़ालिम
आज़ाद ही होने पर, हम उनको बुला लेंगे

3. जिस देश में गंगा बहती है: शैलेन्द्र


होठों पे सच्चाई रहती है, जहां दिल में सफ़ाई रहती है
हम उस देश के वासी हैं, हम उस देश के वासी हैं
जिस देश में गंगा बहती है
मेहमां जो हमारा होता है, वो जान से प्यारा होता है
ज़्यादा की नहीं लालच हमको, थोड़े मे गुज़ारा होता है
बच्चों के लिये जो धरती माँ, सदियों से सभी कुछ सहती है
हम उस देश के वासी हैं, हम उस देश के वासी हैं
जिस देश में गंगा बहती है
कुछ लोग जो ज़्यादा जानते हैं, इन्सान को कम पहचानते हैं
ये पूरब है पूरबवाले, हर जान की कीमत जानते हैं
मिल जुल के रहो और प्यार करो, एक चीज़ यही जो रहती है
हम उस देश के वासी हैं, हम उस देश के वासी हैं
जिस देश में गंगा बहती है
जो जिससे मिला सिखा हमने, गैरों को भी अपनाया हमने
मतलब के लिये अन्धे होकर, रोटी को नही पूजा हमने
अब हम तो क्या सारी दुनिया, सारी दुनिया से कहती है
हम उस देश के वासी हैं, हम उस देश के वासी हैं
जिस देश में गंगा बहती है..
26 January

4. आजादी: राम प्रसाद बिस्मिल

इलाही ख़ैर! वो हरदम नई बेदाद करते हैं,
हमें तोहमत लगाते हैं, जो हम फ़रियाद करते हैं
कभी आज़ाद करते हैं, कभी बेदाद करते हैं
मगर इस पर भी हम सौ जी से उनको याद करते हैं
असीराने-क़फ़स से काश, यह सैयाद कह देता
रहो आज़ाद होकर, हम तुम्हें आज़ाद करते हैं
रहा करता है अहले-ग़म को क्या-क्या इंतज़ार इसका
कि देखें वो दिले-नाशाद को कब शाद करते हैं
यह कह-कहकर बसर की, उम्र हमने कै़दे-उल्फ़त में
वो अब आज़ाद करते हैं, वो अब आज़ाद करते हैं
सितम ऐसा नहीं देखा, जफ़ा ऐसी नहीं देखी,
वो चुप रहने को कहते हैं, जो हम फ़रियाद करते हैं
यह बात अच्छी नहीं होती, यह बात अच्छी नहीं करते
हमें बेकस समझकर आप क्यों बरबाद करते हैं?
कोई बिस्मिल बनाता है, जो मक़तल में हमें ‘बिस्मिल’
तो हम डरकर दबी आवाज़ से फ़रियाद करते हैं

5. मेरे देश की आंखें: अज्ञेय



नहीं, ये मेरे देश की आंखें नहीं हैं
पुते गालों के ऊपर
नकली भवों के नीचे
छाया प्यार के छलावे बिछाती
मुकुर से उठाई हुई
मुस्कान मुस्कुराती
ये आंखें
नहीं, ये मेरे देश की नहीं हैं...
तनाव से झुर्रियां पड़ी कोरों की दरार से
शरारे छोड़ती घृणा से सिकुड़ी पुतलियां
नहीं, ये मेरे देश की आंखें नहीं हैं...
वन डालियों के बीच से
चौंकी अनपहचानी
कभी झांकती हैं
वे आंखें,
मेरे देश की आंखें,
खेतों के पार
मेड़ की लीक धारे
क्षिति-रेखा को खोजती
सूनी कभी ताकती हैं
वे आंखें...
उसने
झुकी कमर सीधी की
माथे से पसीना पोछा
डलिया हाथ से छोड़ी
और उड़ी धूल के बादल के
बीच में से झलमलाते
जाड़ों की अमावस में से
मैले चांद-चेहरे सुकचाते
में टंकी थकी पलकें
उठाईं
और कितने काल-सागरों के पार तैर आईं
मेरे देश की आंखें... 


जब सूरज संग हो जाए अंधियार के, तब दीये का टिमटिमाना जरूरी है |
जब प्यार की बोली लगने लगे बाजार में, तब प्रेमी का प्रेम को बचाना जरूरी है |
जब देश को खतरा हो गद्दारों से, तो गद्दारों को धरती से मिटाना जरूरी है |
जब गुमराह हो रहा हो युवा देश का, तो उसे सही राह दिखाना जरूरी है |
जब हर ओर फैल गई हो निराशा देश में, तो क्रांति का बिगुल बजाना जरूरी है |
जब नारी खुद को असहाय पाए, तो उसे लक्ष्मीबाई बनाना जरूरी है |
जब नेताओं के हाथ में सुरक्षित न रहे देश, तो फिर सुभाष का आना जरूरी है |
जब सीधे तरीकों से देश न बदले, तब विद्रोह जरूरी है ||

छात्रों के लिए 

मोह निंद्रा में सोने वालों, अब भी वक्त है जाग जाओ,
इससे पहले कि तुम्हारी यह नींद राष्ट्र को ले डूबे,
जाति-पाती में बंटकर देश का बन्टाधार करने वालों,
अपना हित चाहते हो, तो अब भी एक हो जाओ,
भाषा के नाम पर लड़ने वालों,
हिंदी को जग का सिरमौर बनाओ,
राष्ट्र हित में कुछ तो बलिदान करो तुम,
इससे पहले कि राष्ट्र फिर गुलाम बन जाए,
आधुनिकता केवल पहनावे से नहीं होती है,
ये बात अब भी समझ जाओ तुम,
फिर कभी कहीं कोई भूखा न सोए,
कोई ऐसी क्रांति ले आओ तुम,
भारत में हर कोई साक्षर हो,
देश को ऐसे पढ़ाओ तुम ||


निबन्ध  1 ( 400 शब्द में )


हमारी मातृभूमि भारत लंबे समय तक ब्रिटीश शासन की गुलाम रही जिसके दौरान भारतीय लोग ब्रिटीश शासन द्वारा बनाये गये कानूनों को मानने के लिये मजबूर थे, भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा लंबे संघर्ष के बाद अंतत: 15 अगस्त 1947 को भारत को आजादी मिली। लगभग ढाई साल बाद भारत ने अपना संविधान लागू किया और खुद को लोकतांत्रिक गणराज्य के रुप में घोषित किया। लगभग 2 साल 11 महीने और 18 दिनों के बाद 26 जनवरी 1950 को हमारी संसद द्वारा भारतीय संविधान को पास किया गया। खुद को संप्रभु, लोकतांत्रिक, गणराज्य घोषित करने के साथ ही भारत के लोगों द्वारा 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रुप में मनाया जाने लगा।









भारत में निवास कर रहे लोगों और विदेश में रह रहे भारतीयों के लिय गणतंत्र दिवस का उत्सव मनाना सम्मान की बात है। इस दिन की खास महत्वता है और इसमें लोगों द्वारा कई सारे क्रिया-कलापों में भाग लेकर और उसे आयोजित करके पूरे उत्साह और खुशी के साथ मनाया जाता है। इसका बार-बार हिस्सा बनने के लिये लोग इस दिन का बहुत उत्सुकता से इंतजार करते है। गणतंत्र दिवस समारोह की तैयारी एक महीन पहले से ही शुरु हो जाती है और इस दौरान सुरक्षा कारणों से इंडिया गेट पर लोगों की आवाजाही पर रोक लगा दी जाती है जिससे किसी तरह की अपराधिक घटना को होने से पहले रोका जा सके। इससे उस दिन वहाँ मौजूद लोगों की सुरक्षा भी सुनिश्चित हो जाती है।


पूरे भारत में इस दिन सभी राज्यों की राजधानीयों और राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली में भी इस उत्सव पर खास प्रबंध किया जाता है। कार्यक्रम की शुरुआत राष्ट्रपति दवारा झंडा रोहण और राष्ट्रगान के साथ होता है। इसके बाद तीनों सेनाओं द्वारा परेड, राज्यों की झाकियोँ की प्रदर्शनी, पुरस्कार वितरण, मार्च पास्ट आदि क्रियाएँ होती है। और अंत में पूरा वातावरण “जन गण मन गण” से गूँज उठता है।

इस पर्व को मनाने के लिये स्कूल और कॉलेज के विद्यार्थी बेहद उत्साहित रहते है और इसकी तैयारी एक महीने पहले से ही शरु कर देते है। इस दिन विद्यार्थीयों अकादमी में, खेल या शिक्षा के दूसरे क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन करने के लिये पुरस्कार, इनाम, तथा प्रमाण पत्र आदि से सम्मान किया जाता है। पारिवारिक लोग इस दिन अपने दोस्त, परिवार,और बच्चों के साथ सामाजिक स्थानों पर आयोजित कार्यक्रमों में हिस्सा लेकर मनाते है। सभी सुबह 8 बजे से पहले राजपथ पर होने वाले कार्यक्रम को टी.वी पर देखने के लिये तैयार हो जाते है। इस दिन सभी को ये वादा करना चाहिये कि वो अपने देश के संविधान की सुरक्षा करेंगे, देश की समरसता और शांति को बनाए रखेंगे साथ ही देश के विकास में सहयोग करेंगे।



गणतंत्र दिवस का इतिहास और महत्व पर निबंध 2 (600 शब्द में )



प्रस्तावना


गणतंत्र दिवस भारत के सबसे महत्वपूर्ण राष्ट्रीय पर्वों में से एक है, इस विशेष दिन को देश भर में काफी धूम-धाम के साथ के साथ मनाया जाता है। इसे 26 जनवरी 1950 के दिन कार्यान्वित हुए भारतीय संविधान के उपलक्ष्य में, हर वर्ष इसी दिन मनाया जाता है। भारतीय गणतंत्र दिवस सभी भारतीयों के लिए बहुत ही खास अवसर है, यह दिन हमें अपने देश में स्थापित गणतंत्र और संविधान का महत्व समझाता है क्योंकि हमारे देश के स्वतंत्रता में संघर्ष के साथ ही हमारे देश के संविधान का भी एक बहुत बड़ा योगदान है और यह वह दिन है, जो हमें हमारे देश के गणतंत्र के महत्व और इसके इतिहास से परिचित कराता है।


भारतीय गणतंत्र दिवस का इतिहास



भारतीय गणतंत्र दिवस का इतिहास काफी रोचक है, इसकी शुरुआत 26 जनवरी 1950 को हुई थी। जब हमारे देश में ‘भारत सरकार अधिनियम’ को हटाकर भारत के संविधान को लागू किया, तब से इसी के उपलक्ष्य में हमारे देश के संविधान और गणतंत्र को सम्मान प्रदान करने के लिए हर वर्ष 26 जनवरी के दिन गणतंत्र दिवस का कार्यक्रम मनाया जाता है। हालांकि इस दिन से जुड़ा एक और भी इतिहास है और इसकी शुरुआत 26 जनवरी 1930 को हुई थी क्योंकि यह वह ऐतहासिक दिन था, जब कांग्रेस ने पहली बार पूर्ण स्वराज की मांग रखी थी।

इसकी शुरुआत तब हुई, जब सन् 1929 में लाहौर में पंडित जवाहर लाल नेहरु के अध्यक्षता में हुए काग्रेंस अधिवेशन के दौरान यह प्रस्ताव पारित किया गया कि यदि 26 जनवरी 1930 तक अंग्रेजी सरकार भारत को ‘डोमीनियन स्टेटस’ नही प्रदान करती तो भारत अपने आप को पूर्णतः स्वतंत्र घोषित कर देगा। इसके बाद जब 26 जनवरी 1930 तक अंग्रेजी हुकूमत ने कांग्रेस के इस मांग का कोई जवाब नही दिया। तो उस दिन से कांग्रेस ने पूर्ण स्वतंत्रता के निश्चय के लिए अपना संक्रिय आंदोलन आरंभ कर दिया और जब 15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र हुआ, तो भारत सरकार ने 26 जनवरी के ऐतहासिक महत्ता को ध्यान में रखते हुए। इस दिन को गणतंत्र स्थापना के लिए चुना।



गणतंत्र दिवस का महत्व



26 जनवरी के दिन मनाया जाने वाला हमारा यह गणतंत्र दिवस का पर्व हमारे अंदर आत्मगौरव भरने का कार्य करता है तथा हमें पूर्ण स्वतंत्रता की अनुभूति कराता है यही कारण है कि इस दिन को पूरे देश भर में इतने धूम-धाम तथा हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है गणतंत्र दिवस का यह पर्व हम सबके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि वह दिन है जो हमें हमारे संविधान का महत्व समझाता है। भले ही हमारा देश 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्र हो गया था, परन्तु इसे पूर्ण रुप से स्वतंत्रता की प्राप्ति 26 जनवरी 1950 को मिली क्योंकि यह वह दिन था।

जब हमारे देश का संविधान प्रभावी हुआ और हमारा भारत देश विश्व पटल पर एक गणतांत्रिक देश के रुप में स्थापित हुआ। आज के समय यदि हम स्वतंत्र रुप से कोई भी फैसला ले सकते हैं या फिर किसी प्रकार के दमन तथा दुर्वव्यस्था के खिलाफ आवाज उठा सकते हैं, तो ऐसा सिर्फ हमारे देश के संविधान और गणतांत्रिक स्वरुप के कारण संभव है। यहीं कारण है कि हमारे देश में गणतंत्र दिवस को एक राष्ट्रीय पर्व के रुप में मनाया जाता है।



निष्कर्ष

गणतंत्र दिवस का यह राष्ट्रीय पर्व हमारे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि हमारे देश का संविधान तथा इसका गणतांत्रिक स्वरुप ही हमारे देश को कश्मीर से कन्याकुमारी तक जोड़ने का कार्य करता है। यह वह दिन है जब हमारा देश विश्व मानचित्र पे एक गणतांत्रिक देश के रुप में स्थापित हुआ। यही कारण है कि इस दिन को पूरे देश भर में इतने धूम-धाम तथा हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।

भारतीय गणतंत्र दिवस पर बड़ा निबंध 3 (1000 शब्द में )



प्रस्तावना

26 जनवरी को मनाया जाने वाला भारतीय गणतंत्र दिवस वह दिन है, जब इसी दिन सन् 1950 में हमारे देश का संविधान प्रभाव में आया। गणतंत्र दिवस का दिन भारत के तीन राष्ट्रीय पर्वों में से एक है, यहीं कारण है कि इसे हर जाति तथा संप्रदाय द्वारा काफी सम्मान और उत्साह के साथ मनाया जाता है। 26 जनवरी के दिन मनाये जाने वाले गणतंत्र दिवस के पर्व पर पूरे देश भर में परेड तथा सांस्कृतिक कार्यक्रम जैसे कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इसलिए यह काफी आवश्यक है कि इस विशेष दिन को हम उचित सम्मान दे और इसे साथ मिलकर मनाये, ताकि हमारे देश की यह एकता और अखंडता इसी प्रकार से बनी रहे।



गणतंत्र दिवस क्यों मनाते हैं?


गणतंत्र दिवस मनाने का मुख्य कारण यह है कि इस दिन हमारे देश का संविधान प्रभाव में आया था। हालांकि इसके अलावा इस दिन का एक और इतिहास भी है, जोकि काफी रोचक है। इसकी शुरुआत दिसंबर 1929 में लाहौर में पंडित नेहरु के अध्यक्षता में संपन्न हुई भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन से हुई थी। जिसमें कांग्रेस द्वारा इस बात की घोषणा की गई की यदि 26 जनवरी 1930 तक भारत को स्वायत्त शासन (डोमीनियन स्टेटस) नही प्रदान किया गया तो इसके बाद भारत अपने आप को पूर्णतः स्वतंत्र घोषित कर देगा, लेकिन जब यह दिन आया और अंग्रेजी सरकार द्वारा इस मुद्दे पर कोई जवाब नही दिया गया तो कांग्रेस ने उस दिन से पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्ति के लक्ष्य से अपना सक्रिय आंदोलन आरंभ कर दिया। यहीं कारण है कि जब हमारा भारत देश आजाद हुआ तो 26 जनवरी के दिन के इस दिन संविधान स्थापना के लिए चुना गया।



भारत का राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस


गणतंत्र दिवस कोई साधरण दिन नही है, यह वह दिन है जब हमारे भारत देश को पूर्ण रूप से स्वतंत्रता की प्राप्ति हुई क्योंकि भले ही भारत 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्र हो गया था, लेकिन यह पूर्ण रुप से स्वतंत्र तब हुआ जब 26 जनवरी 1950 के दिन ‘भारत सरकार अधिनियम’ को हटाकर भारत के नवनिर्मित संविधान को लागू किया गया। इसलिए उस दिन से 26 जनवरी के इस दिन को भारत में गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। यह भारत के तीन राष्ट्रीय पर्वों में से एक है इसके अलावा अन्य दो गांधी जयंती और स्वतंत्रता दिवस है।

इस दिन पूरे देश भर में राष्ट्रीय अवकाश रहता है, यहीं कारण है कि विद्यालय तथा कार्यलय जैसे कई जगहों पर इसके कार्यक्रम को एक दिन पहले ही मनाया जाता है। इस दिन विद्यालयों में मिठाइयों का वितरण किये जाने के साथ ही कई तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किये जाते हैं। इस दिन का सबसे भव्य आयोजन नई दिल्ली के राजपथ में होता है, जहां कई तरह की झांकिया और परेड निकाले जाते हैं। गणतंत्र दिवस का यह दिन एक ऐसा दिन होता है, जो हमें हमारे देश के संविधान का महत्व समझाता है, यहीं कारण है कि इस दिन को पूरे देश भर में इतने धूम-धाम से मनाया जाता है।



गणतंत्र दिवस से जुड़े कुछ रोचक तथ्य


नीचे भारतीय गणतंत्र दिवस से जुड़े कई सारे महत्वपूर्ण रोचक तथ्यों के विषय में चर्चा की गयी है।

  • इस दिन पहली बार 26 जनवरी 1930 में पूर्ण स्वराज का कार्यक्रम मनाया गया। जिसमें अंग्रेजी हुकूमत से पूर्ण आजादी के प्राप्ति का प्रण लिया गया था।
  • गणतंत्र दिवस परेड के दौरान एक क्रिस्चियन ध्वनि बजाई जाती है, जिसका नाम “अबाईड वीथ मी” है क्योंकि यह ध्वनि महात्मा गांधी के प्रिय ध्वनियों में से एक है।
  • भारत के पहले गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो थे।
  • गणतंत्र दिवस समारोह का राजपथ में पहली बार आयोजन वर्ष 1955 में किया गया था।
  • भारतीय गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान भारत के राष्ट्रपति को 31 तोपों की सलामी दी जाती है।



गणतंत्र दिवस समारोह









हर वर्ष 26 जनवरी को नई दिल्ली के राजपथ में गणतंत्र दिवस के इस कार्यक्रम को काफी भव्य रूप से मनाया जाता है। इसके साथ ही गणतंत्र दिवस के दिन किसी विशेष विदेशी अतिथि को आमंत्रित करने की भी प्रथा रही है, कई बार इसके अंतर्गत एक से अधिक अतिथियों को भी आमंत्रित किया जाता है। इस दिन सर्वप्रथम भारत के राष्ट्रपति द्वारा तिरंगा फहराया जाता है और इसके बाद वहां मौजूद सभी लोग सामूहिक रूप से खड़े होकर राष्ट्रगान गाते हैं।

इसके पश्चात कई तरह की सांस्कृतिक और पारंपरिक झांकिया निकाली जाती हैं, जो कि देखने में काफी मनमोहक होती हैं। इसके साथ ही इस दिन का सबसे विशेष कार्यक्रम परेड का होता है, जिसे देखने के लिए लोगों में काफी उत्साह होता है। इस परेड का आरंभ प्रधानमंत्री द्वारा राजपथ पर स्थित अमर जवान ज्योति पर पुष्प डालने के पश्चात होता है। इसमें भारतीय सेना के विभिन्न रेजीमेंट, वायुसेना तथा नौसेना द्वारा हिस्सा लिया जाता है।

यह वह कार्यक्रम होता है, जिसके द्वारा भारत अपने सामरिक तथा कूटनीतिक शक्ति का भी प्रदर्शन करता है और विश्व को यह संदेश देता है कि हम अपने रक्षा में सक्षम है। 2018 के गणतंत्र दिवस समारोह में एक साथ कई सारे मुख्य अतिथियों को आमंत्रित किया गया था। इस कार्यक्रम सभी आसियान देशों के के प्रमुखों को आमंत्रित किया गया था। गणतंत्र दिवस समारोह का यह कार्यक्रम भारत की विदेश नीती के लिए भी काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि इस कार्यक्रम में आमंत्रित किये गये विभिन्न देशों के मुख्य अतिथियों के आगमन से भारत को इन देशों से संबंधों को बढ़ाने का मौका मिलता है।



निष्कर्ष

गणतंत्र दिवस हमारे देश के तीन राष्ट्रीय पर्वों में से एक है, यह वह दिन है जो हमें हमारा गणतंत्र के महत्व का अहसास कराता है। यहीं कारण है कि इसे पूरे देश भर में इतने जोश तथा उत्साह के साथ मनाया जाता है। इसके साथ ही यह वह दिन भी है जब भारत अपने सामरिक शक्ति का प्रदर्शन करता है, जोकि किसी को आतंकित करने के लिए नही अपितु इस बात का संदेश देने के लिए होता है कि हम अपनी रक्षा करने में सक्षम है। 26 जनवरी के यह दिन हमारे देश के लिए एक ऐतहासिक पर्व है इसलिए हमें पूरे जोश तथा सम्मान के साथ इस पर्व को मनाना चाहिए।

दोहा 

1. सारे जग से है ये न्यारा, विजयी विश्व तिरंगा प्यारा ।
यही तो शान हमारी है, यही है अभिमान हमारा।।
2. सरहद पर हैं खड़े हुए, बनके देश की ढाल ।
नित्य नयी हैं जंग लड़ते, भारत माता के लाल।।
3. सारा जग जो घूम लिया, मिला एक ही ज्ञान ।
इतना प्यारा कोई देश नहीं, जैसा है हिन्दुस्तान।।
4. चाहे तपती धूप हो, चाहे हो शीतल रात ।
देश की सेवा में रहें, जवान सदा तैनात।।
5. मेरे भारत देश की, गाथा बड़ी महान ।
इसीलिए गाता है महिमा, इसकी सारा जहान।।
6. अतिथि देवो भवः कहें, दुश्मन को दें दंड ।
भारत जितना निर्मल है, उतना ही प्रचंड।।
7. राम रहीम की धरती है ये, यहाँ आरती और अजान ।
 आपस में सब मिलकर रहें, सबका करते सम्मान।।
8. भारत ही है देश मेरा, भारत ही मेरा धर्म ।
धरती पर जब भी मैं आऊँ, यहीं दे इश्वर जन्म।।
9. बैरी जो कोई कदम बढ़ाए, उसको भेजें श्मशान ।
धन्य हैं वो जो सरहद पर, खड़े हैं वीर जवान।
10. ऐसी पावन धरा यहाँ की, कर देती सबका उद्धार ।
हर दिन एक नया उत्सव, होता है हर दिन त्यौहार।।
11. अपने वीर सपूत को माँ देती सदा आशीष ।
देश पर आंच कभी ना आये, कट जाए चाहे शीश।।
12. भारत की पावन धरती से, ले धुल मैं तिलक लगाऊं ।
इतना प्यारा देश है मेरा, मैं नित दिन महिमा गाऊं।।
13. महाराणा प्रताप से राजा, लक्ष्मी बाई जैसी रानी ।
घर-घर में सुनाई जाती, ऐसे वीरों की कहानी।।
14. पला-बढ़ा और बड़ा हुआ, इस देश में लेकर जन्म ।
सच्चा देशभक्त है वही, हो देश ही जिसका धर्म।।
15. है सपूत जो देश के, मैं उनका हुआ मुरीद । कुछ तो सरहद पर खड़े, कुछ हो गए शहीद।। 


Note- देश भक्ति दोहे के बारे में अपने विचार कमेंट बॉक्स में जरूर भेजें 
धन्यवाद।

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