एनालॉग एंव डिजिटल सिग्नल-
आप जानते हैं कि मानव की तरह कंप्यूटर सूचना की पहचान नहीं कर सकता है। यदि हम किसी से दो संख्याओं का जोड़ करवाना चाहते हैं, हम कहेंगे “कृपया 2 और 7 को जोड़िए”। हम इस रूप में कंप्यूटर को निर्देश नहीं दे सकते। सिस्टम यूनिट एक इलेक्ट्रॉनिक सर्किट है और यह मानव की भाषा को प्रोसेस नहीं कर सकती है। हमारी ध्वनि “एनालॉग” या लगातार सिग्नल तैयार करती है जो विभिन्न पिच और टोन का अलग-अलग प्रतिनिधित्व करती है। किंतु, कंप्यूटर केवल “डिजिटल” इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल को पहचान सकता है। इसलिए कंप्यूटर द्वारा किसी निर्देश का पालन कर सकने से पहले इसे ऐसे रूप में बदलने की आवश्यकता होती है जिसे कंप्यूटर समझ सके।
आप “दशमलव प्रणाली” से परिचित हैं जिसमें दस डिजिट (0-9) होते हैं। डेटा एवं निर्देश देने के लिए कंप्यूटर दो-पद यानी “बाइनरी सिस्टम” का उपयोग करता है। इसमें केवल दो डिजिट 0 और 1 होते हैं। प्रत्येक 0 या 1 एक “बिट” कहलाता है– यह “बाइनरी डिजिट” का संक्षिप्त रूप होता है। अक्षर, संख्या एवं विशेष कैरेक्टर को प्रस्तुत करने के लिए बिट्स आठ के समूहों में मिलती है जिनको “बाइट्स” कहते हैं। प्रत्येक बाइट एक अक्षर का प्रतिनिधित्व करती है।
दशमलव प्रणाली-
आप “दशमलव प्रणाली” से परिचित हैं जिसमें दस डिजिट (0-9) होते हैं। डेटा एवं निर्देश देने के लिए कंप्यूटर दो-पद यानी “बाइनरी सिस्टम” का उपयोग करता है। इसमें केवल दो डिजिट 0 और 1 होते हैं। प्रत्येक 0 या 1 एक “बिट” कहलाता है– यह “बाइनरी डिजिट” का संक्षिप्त रूप होता है। अक्षर, संख्या एवं विशेष कैरेक्टर को प्रस्तुत करने के लिए बिट्स आठ के समूहों में मिलती है जिनको “बाइट्स” कहते हैं। प्रत्येक बाइट एक अक्षर का प्रतिनिधित्व करती है।
बाइनरी कोडिंग स्कीम-
“बाइनरी कोडिंग स्कीम” का उपयोग करके कंप्यूटर में अक्षरों को प्रस्तुत किया जाता है। बाइनरी कोडिंग स्कीम प्रत्येक अक्षर के लिए विशिष्ट बाइनरी नंबर को निरूपित करती है। ASCII और EBCDIC दो सबसे लोकप्रिय बाइनरी कोडिंग स्कीम हैं, जो आठ बिट्स या एक बाइट का उपयोग करते हैं। एक नया विकसित कोड, यूनिकोड है जो 16 बिट्स का उपयोग करता है।
एएससीआईआई का तात्पर्य “अमेरिकन स्टैंडर्ड कोड फ़ॉर इन्फ़ॉर्मेशन इंटरचेंज” से है। एएससीआईआई एक कोड है, जिसमें अंग्रेज़ी के कैरेक्टरों को संख्याओं के रूप में प्रदर्शित करते हैं, जिसमें प्रत्येक अक्षर को 0 से 127 तक कोई संख्या प्रदान की जाती है। उदहारण के लिये, अपरकेस ‘ए’ के लिये एएससीआईआई का कोड 65 है। यह कंप्यूटर के लिये सर्वाधिक उपयोग किया जाने वाला बाइनरी कोड है, जो एक कंप्यूटर से दूसरे में डेटा को स्थानांतरित करना संभव बनाता है।
ईबीसीडीआईसी का तात्पर्य “एक्सटेंडेड बाइनरी कोडेड डेसिमल इंटरचेंज कोड” से है। यह आईबीएम के द्वारा विकसित की गयी 8-बिट कैरेक्टर एन्कोडिंग है और प्राथमिक रूप से इसका उपयोग मेनफ़्रेम कंप्यूटर के लिये होता है। इसे 7-बिट एएससीआईआई एन्कोडिंग स्कीम से अलग विकसित किया गया था। यद्यपि बड़े पैमाने पर इसका उपयोग आईबीएम कंप्यूटर में होता है, पीसी और मैकिंटोश सहित अधिकांश अन्य कंप्यूटर एएससीआईआई कोड का उपयोग करते हैं।
एएससीआईआई (ASCII)
एएससीआईआई का तात्पर्य “अमेरिकन स्टैंडर्ड कोड फ़ॉर इन्फ़ॉर्मेशन इंटरचेंज” से है। एएससीआईआई एक कोड है, जिसमें अंग्रेज़ी के कैरेक्टरों को संख्याओं के रूप में प्रदर्शित करते हैं, जिसमें प्रत्येक अक्षर को 0 से 127 तक कोई संख्या प्रदान की जाती है। उदहारण के लिये, अपरकेस ‘ए’ के लिये एएससीआईआई का कोड 65 है। यह कंप्यूटर के लिये सर्वाधिक उपयोग किया जाने वाला बाइनरी कोड है, जो एक कंप्यूटर से दूसरे में डेटा को स्थानांतरित करना संभव बनाता है।
ईबीसीडीआईसी (EBCDIC)
ईबीसीडीआईसी का तात्पर्य “एक्सटेंडेड बाइनरी कोडेड डेसिमल इंटरचेंज कोड” से है। यह आईबीएम के द्वारा विकसित की गयी 8-बिट कैरेक्टर एन्कोडिंग है और प्राथमिक रूप से इसका उपयोग मेनफ़्रेम कंप्यूटर के लिये होता है। इसे 7-बिट एएससीआईआई एन्कोडिंग स्कीम से अलग विकसित किया गया था। यद्यपि बड़े पैमाने पर इसका उपयोग आईबीएम कंप्यूटर में होता है, पीसी और मैकिंटोश सहित अधिकांश अन्य कंप्यूटर एएससीआईआई कोड का उपयोग करते हैं।
यूनिकोड
कोडिंग स्कीम की अनिवार्यता
सॉफ़्टवेअर
प्रोग्राम
एप्लीकेशन सॉफ़्टवेयर
बेसिक एप्लीकेशन
स्पेशलाइज़्ड एप्लीकेशन
सिस्टम सॉफ़्टवेयर
ऑपरेटिंग सिस्टम
“ऑपरेटिंग सिस्टम” कंप्यूटर संसाधन में सहयोग करता है, यूज़र और कंप्यूटर के बीच इंटरफ़ेस प्रदान करता है तथा एप्लीकेशन्स को चालू करता है।
यूटिलिटीज़
डिवाइस ड्राइवर्स
भाषा अनुवादक
“भाषा अनुवादक” प्रोग्रामर द्वारा लिखे गए प्रोग्रामिंग निर्देशों को एक ऐसी भाषा में बदलती है जिसे कंप्यूटर समझ सके।
मेमोरी
रैम
अस्थाई या क्षणभंगुर स्टोरेज
कैश मेमोरी (Cache Memory)
“कैश मेमोरी” बहुत अधिक तेज़ मेमोरी होती है जो सीपीयू में निर्मित होती है, या एक अलग चिप पर स्थित होती है। सभी कंप्यूटरों में कैशे नहीं होता है। कैशे मेमोरी, मेमोरी और सीपीयू के बीच अस्थाई उच्च-गति धारण क्षेत्र के रूप में कार्य के द्वारा प्रोसेसिंग का विकास करता है। रैम की सूचना को लगातार कैशे में कॉपी करने के लिए उपयोग किया जाता है। जब इसकी आवश्यकता होती है, तो सीपीयू कैशे से इस सूचना को तेज़ी से प्राप्त कर सकता है, इस तरह संपूर्ण सिस्टम की गति का विकास होता है।
“फ्लैश मेमोरी” पावर में रुकावट होने पर भी डेटा को स्थाई रूप से रख सकता है। इस प्रकार का रैम अधिक मँहगा होता है और इसका उपयोग विशेष एप्लीकेशनों, जैसे डिजिटल सेल टेलिफ़ोन, डिजिटल वीडियो कैमरा एवं पोर्टेबल कंप्यूटर के लिए किया जाता है।
जब आप कंप्यूटर मेमोरी की मात्रा के बारे में बात करते हैं, तो आप रैम की ही बात करते हैं। कंप्यूटर द्वारा संचालित कार्यों की जटिलता एवं आकार का सीधा संबंध रैम से होता है। उदाहरण के लिए, माइक्रोसॉफ़्ट ऑफिस 2007 को कम से कम 256 MB के रैम की आवश्यकता होती है। कंप्यूटर सिस्टम में अतिरिक्त रैम को जोड़ा जा सकता है। रैम की मात्रा बाइट्स में वर्णित होती है। सामान्य रूप में उपयोग होने वाली मेमोरी क्षमता के माप की तीन इकाइयों को प्रदर्शित तस्वीर में दिखाया गया है।
रॉम चिप्स प्रोग्राम्स होते हैं जिनको फ़ैक्टरी में ही तैयार किया जाता है। सीपीयू रोम चिप्स से केवल डेटा को पुनः प्राप्त कर सकता है लेकिन इसे किसी अन्य तरीकों में परिवर्तित नहीं कर सकता है। रैम चिप्स के विपरीत, रोम चिप्स स्थाई होते हैं। इसमें कंप्यूटर के कार्यकलापों जैसे स्टार्ट करने, कीबोर्ड के बटनों को अपना कार्य देने एवं स्क्रीन पर कैरेक्टर को रखने के लिए विशेष निर्देश होते हैं। रोम में स्थित प्रोग्राम ज्यादातर नियंत्रण एवं कार्यकलापों के निरीक्षण का कार्य करते हैं। यह सिस्टम यूनिट से सारे इनपुट और आउटपुट डिवाइसों से ठीक ढंग से जुड़े होने की जांच करता है।
"रॉम" (ROM) की दो प्रमुख विशेषताएँ है
कंप्लीमेंटरी मेटल-ऑक्साइड सेमीकंडक्टर (सीमॉस) चिप कंप्यूटर सिस्टम में लचीलापन एवं विस्तार प्रदान करता है। पीसी को सही ढंग से स्टार्ट करने के लिए इसमें सभी आवश्यक सूचनाएँ होती हैं। इस चिप में वर्तमान तिथि एवं समय, रैम की मात्रा, कीबोर्ड के प्रकार, माउस, मॉनीटर एवं डिस्क ड्राइव जैसे सूचना होती है। रैम के विपरीत, इसमें एक छोटी ऑन-बोर्ड बैटरी होती है, जो पावर प्रदान करती है और पावर के बंद होने पर इसकी विषय-वस्तु ख़त्म नहीं होती है। रोम के विपरीत, इसकी विषय-वस्तु कंप्यूटर सिस्टम में बदलाव होने पर जैसे रैम बढ़ाने या नए हार्डवेयर डिवाइस लगाने पर बदल सकती है।
फ्लैश मेमोरी
बाइट्स
रॉम
रॉम (ROM) की विशेषताएँ है
- "रॉम" मे विद्यमान निर्देश निष्पादित (एग्ज़ीक्यूट) तो किए जा सकते है किन्तु परिवर्तित नहीं किए जा सकते हैं। इसलिए ही उसका नाम "रीड ओनली मेमोरी" है।
- जब कंप्यूटर बंद कर दिया जाता है, तो इसके निर्देश नष्ट नहीं होते, मिटते नहीं है। इसलिए "रॉम" "स्थिर" कहलाता है।
सीमॉस
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