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इंटरनेट ब्राउजर जो अधिकतर प्रयोग किया जाता हैं Internet Browser that is mostly used

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मोज़िला फ़ायरफ़ॉक्स

मोज़िला फ़ायरफ़ॉक्स एक वेब-ब्राउज़र है, जो कि मोज़िला कॉरोपोरेशन द्वारा प्रबंधित किया जाता है। मोज़िला एक मुफ्त सॉफ्टवेयर समुदाय है, सबसे अच्छा Firefox वेब ब्राउज़र के उत्पादन के लिए जाना जाता है. मोज़िला ब्रांड नाम मूल कंपनी अनुप्रयोग सॉफ्टवेयर के संदर्भ में उपयोग के लिए नेटस्केप संचार निगम द्वारा गढ़ा है,
और बाद में विभिन्न खुला स्रोत सॉफ्टवेयर नेटस्केप में होने की पहल का उल्लेख करने के लिए इस्तेमाल किया. मोज़िला मूल रूप से मृत नेटस्केप नेविगेटर सॉफ्टवेयर परियोजना के लिए codename था, नेटस्केप के शुभंकर, एक कार्टून Godzilla द्वारा प्रेरित साँप के साथ. जब नेटस्केप नेविगेटर खुला स्रोत सॉफ़्टवेयर के रूप में जारी किया गया था, मोज़िला परियोजना की पहली उत्पाद, मोज़िला अनुप्रयोग सुइट (बाद में नाम बदलकर SeaMonkey)
के साथ विकास परियोजना और समुदाय के नाम था. नेटस्केप परियोजना के बंद होने के बाद, नाम मोज़िला फाउंडेशन और उसकी सहायक मोज़िला निगम, जो संघ में व्यापक मोज़िला समुदाय के साथ मूल परियोजना के लक्ष्यों को बढ़ावा देने के लिए जारी द्वारा अपनाया गया था.

ओपेरा मिनी


ओपेरा मिनी, भारत में सबसे अधिक उपयोग होने वाले मोबाइल वेब ब्राउज़रों में से एक है और यह 13 भारतीय भाषाओं में उपलब्ध है. यह वेबपेजों को उनके मूल आकार से 10% तक कंप्रेस कर देता है, जिससे डेटा की खपत कम होती है और मोबाइल फ़ोन से वेब एक्सेस करने पर कम खर्चा आता है. कंप्रेस करने का एक और लाभ यह है कि इससे वेबपेज बहुत तेज़ी से खुलते हैं.
ओपेरा मिनी की विशेषताएँ नीचे लिखे हैं:

स्पीड डायल: आप अपने ओपेरा मिनी स्पीड डायल में पसंदीदा वेबसाइटों को सहेज सकते हैं और बस एक हल्के टैप से वेबसाइटों को आसानी से एक्सेस कर सकते हैं.

स्मार्ट पेज: ओपेरा मिनी एकमात्र ऐसा ब्राउज़र है जो फेसबुक और ट्विटर की तरह सोशल नेटवर्किंग साइट्स के अपडेट को ब्राउज़र के स्मार्ट पेज में तुरंत दिखाता है.

डाउनलोड मैनेजर: आप ओपेरा मिनी के डाउनलोड मैनेजर से ब्राउज़िंग के दौरान डाउनलोड को रोक, फिर से शुरू और प्रबंधित कर सकते हैं.

नाईट मोड: ओपेरा मिनी में एक नाईट मोड है, जो अधिक गहरे रंगों का उपयोग करके चमकदार स्क्रीन के प्रभावों को हल्का कर देता है, जिससे आपकी आँखों पर ज़ोर नहीं पड़ता.

प्राइवेट ब्राउज़िंग: ओपेरा मिनी प्राइवेट टैब की सुविधा देता है, जिससे आप फ़ॉर्म विवरण और ब्राउज़िंग इतिहास को संग्रहीत किए बिना वेब ब्राउज़ कर सकते हैं.
ओपेरा मिनी ही एकमात्र ऐसा वेब ब्राउज़र है, जो 3,000 से अधिक प्रकार के साधारण फ़ोन और स्मार्टफ़ोन पर स्मूद और तेज़ ब्राउज़िंग अनुभव प्रदान करता है. इनमें Java, BlackBerry, Symbian, iOS और Android फ़ोन शामिल हैं. आप अपने फ़ोन से m.opera.com पर जाकर ओपेरा मिनी डाउनलोड कर सकते हैं.


गूगल क्रोम

गूगल क्रोम एक वेब ब्राउज़र है जिसे गूगल द्वारा मुक्त स्रोत कोड द्वारा निर्मित किया गया है। इसका नाम ग्राफिकल यूज़र इंटरफ़ेस (GUI) के फ्रेम यानि क्रोम पर रखा गया है। इस प्रकल्प का नाम क्रोमियम है तथा इसे बीएसडी लाईसेंस के तहत जारी किया गया है। 2 सितंबर, 2008 को गूगल क्रोम का 43 भाषाओं में माइक्रोसॉफ्ट विंडोज़ प्रचालन तंत्र हेतु बीटा संस्करण जारी किया गया। यह नया ब्राउज़र मुक्त स्रोत लाइनक्स कोड पर आधारित होगा, जिसमें तृतीय पार्टी विकासकर्ता को भी उसके अनुकूल अनुप्रयोग बनाने की सुविधा मिल सकेगी।
विशेषताएं

गूगल क्रोम को बेहतर सुरक्षा, बेहतर गति एवं स्थायित्व को ध्यान में रखकर बनाया गया था। क्रोम का सबसे प्रमुख लक्षण इसकी गति और अनुप्रयोग निष्पादन (एप्लीकेशन परफॉर्मेंस) हैं। इसके बीटा संस्करण को मार्च २००९ में लॉन्च किया गया था। इस संस्करण में जो नई सुविधाएं जोड़ी गई थीं उनमें प्रपत्र स्वतःपूर्ण (फॉर्म ऑटोफिल), संपूर्ण पृष्ठ ज़ूम (फुल पेज जूम), ऑटो स्क्रॉल और नए प्रकार का ड्रैग टैब प्रमुख है। इस ब्राउजर की वेबसाइट के अनुसार, देखने में ये परंपरागत गूगल मुखपृष्ठ (क्लासिकल गूगल होमपेज) की तरह है और तेज तथा स्पष्ट है। गूगल क्रोम का प्रयोग करने पर अन्य ब्राउज़रों की भांति सीधे खाली पृष्ठ नहीं खुलता बल्कि ब्राउजर उपयोक्ता द्वारा सबसे ज्यादा प्रयोग किए गये अंतिम कुछ वेबपृष्ठों का थम्बनेल दृश्य दिखाता है, जिसे क्लिक करने पर वांछित पृष्ठ खुल जाता है। (देखें: नीचे दिया चित्र) इस कारण से उपयोक्ता अपने मनवांछित पृष्ठों पर शीघ्र ही नेविगेट कर पाता है। इसमें उपलब्ध ओमनीबॉक्स का लाभ ये है कि बिना गूगल खोले ही, गूगल में सर्च कर सकते हैं। उदाहरण के लिए एड्रेस बार में मात्र ओलंपिक डालते ही उससे संबंधित वेबसाइट के पते बता देता है, साथ ही अधूरे और गलत पतों को रिकवर करने की सुविधा भी इसमें है।
इस ब्राउजर में उपस्थित टास्क मैनेजर आइकन से इस बारे में जानकारी मिल सकती है, कि किस प्रक्रिया में कितनी स्मृति (मेमोरी) का प्रयोग हो रहा है। इसके साथ ही यदि कोई वेबसाइट नहीं चल रही तो उससे दूसरी साइट पर फर्क नहीं पड़ता है। क्रेश रिकवरी के द्वारा कंप्यूटर सिस्टम के अचानक बंद हो जाने पर और फिर खोलने पर यह उपयोक्ता से पूछता भी है, कि वह उसी पृष्ठ पर पुन: आना चाहते हैं या फिर नया पृष्ठ खोलना चाहते हैं। इनकॉग्निटो के कारण उपयोक्ता आईपी एड्रेस लीक नहीं होता जिससे सुरक्षा बढ़ जाती है। कुछ साइट ऐसी हैं, जहां पहली बार किसी चीज को लोड करते हुए समय कम लगेगा, फिर जितनी बार आएंगे, समय बढ़ता जाएगा। प्रत्येक साइट को उसको सर्फ करने वाले के बारे में जानकारी उसके आईपी एड्रेस से मिलती है।

लाभ और हानियां

क्रोम में ओपेरा वेब ब्राउज़र की भांति ही टैब प्रणाली का उपयोग किया गया है। इस टैब प्रणाली में ज्यादा प्रयोग की गयी वेबसाइटों का यह अपने आप इतिहास बनाकर नये टैब में जोड़ता चला जाता है। जैसे ही नये टैब पर क्लिक करते हैं यह अपने आप सहेजे गये पृष्ठों को बाक्स में प्रदर्शित करता है। इससे पूर्व पसंदीदा साईटों को नये टैब में सहेजकर रखने की यह सुविधा केवल ओपेरा के ब्राउजर में मिलती थी। गूगल द्वारा अभी तक समर्थित फायरफाक्स सबसे बड़ी कमी यह थी कि डिफाल्ट सर्च इंजन गूगल ही होता था जिसमें सीधे होमपेज से जीमेल आदि की सुविधाओं की कमी रहती थी। बाद में आई.ई-७ में एकसाथ कई सारे होमपेज बनाकर रखने की सुविधा मिली थी। किन्तु इसकी कमी इसकी मंथर गति है।
भारत में 128केपीबीएस स्पीड को ब्राडबैण्ड स्पीड कहा जाता है, जबकि पश्चिम के देशों में 1 एमबीपीएस की स्पीड ब्राडबैण्ड की श्रेणी में आती है। औसत इंटरनेट उपभोक्ता इसी स्पीड पर काम करते है। छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में तो यह स्पीड 76 केपीबीएस मात्र ही होती है। ऐसे में आई ई-7 अत्यधिक धीमा हो जाता है। यहां ओपेरा, सफारी और फायरफाक्स इस लिहाज से कुछ बेहतर हैं लेकिन इतनी कम स्पीड पर कोई भी ब्राउजर ठीक से काम नहीं कर सकता। इसी कारण से आई.ई-6 ही अधिक प्रयोग होता आया है।
क्रोम के प्रयोग करते हुए ब्राउजर के ऊपर कोई पट्टी नहीं दिखाई देती है जिस पर फाईल, एडिट और विकल्प के बटन होते थे। इसे हटाने का सही कारण तो ज्ञात नहीं है, किंतु इससे विन्डो का आकार काफी बढ़ जाता है। 14-15 इंच का मॉनीटर प्रयोग करते हुए भी बेहतर विजबिलटी मिलती है। 
हां सीधे क्लिक कर कुछ विकल्प चुने जा सकते थे, जिनके लिए इसमें कुछ शार्टकट कुंजियों का सहारा लेना पड़ता है। क्रोम में एक कमी है कि इसमें माउस के दायें क्लिक पर रिफ्रेश का विकल्प नहीं मिलता है। इस कमी के संग ही एक अच्छाई भी है, वह है गुप्त पेज। यदि बिना रिकॉर्ड की सर्फ़िंग करनी हो तो गूगल गुप्त विन्डो का प्रयोग कर सकते हैं।

क्रोम 3.0
गूगल ने हाल ही में क्रोम ब्राउजर के तीसरे संस्करण का बीटा वर्जन रिलीज़ किया है। इस क्रोम में एक्सटेंशन सपोर्ट पहले से ही चालू होते है। इस संस्करण में थीमिंग सुविधाएं भी सम्मिलित हैं, किंतु इनके लिए कस्टमाइज़ एण्ड कंट्रोल में ऑप्शंस में पर्सनल स्टफ़ में जाना होता है। दायें दिये चित्र में देखें जिसमें थीम्स वाले अनुभाग में गेट थीम्स नामक बटन मिलेगा जो कि गूगल की थीम गैलरी में ले जाता है।

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